Engineer se Insaan Tak / इंजिनियर से इंसान तक

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By Saumya Gupta

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इंजिनियर आज एक ऐसा इंसान बन चुका है जिसे उसकी काबिलियत से कम ही आंका जाता है | ख़ैर सबसे पहले तो यही एक सोचने की बात है कि क्या असल में उसे इंसान की तरह माना जाता भी है या नहीं | हाँ ! इस बात में कोई दोराय नहीं है कि इंजीनियरिंग कॉलेज की तादाद जनसंख्या की तरह बढ़ती जा रही है जिन्हें मान्यता तो मिल रही है पर लोगो के मन में उसे कहीं मान्यता मिलने को तैयार ही नही | किसी सरकार की तरह वह मान्यता जैसे 4 साल में बदल जाती है | पर क्या ऐसा सच में है ? नहीं ! | वह 4 साल तो असल में एक इंजिनियर से कई ज्यादा एक ऐसा इंसान बनाते है जो समाज की उपेक्षाओ से परे एक अपना समाज बनाने को तैयार रहता है |

ये कहानी ऐसे ही एक लड़के संकल्प की है जो इसी होड़ में इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लेता है | पर इस कहानी का एक भूत है , एक वर्तमान और एक भविष्य | और इन तीनो ही कालो ने मिल के इसे एक बिलकुल ही नया रूप दिया | क्या क्या हुआ जिसमे से शायद कुछ होना चाहिए था और कुछ नही भी , कुछ थोडा होना चाहिए था और कुछ थोडा ज्यादा ही सही | लव, इंजीनियरिंग और पैशन की ये कहानी को पढ़ते हुए चाय जरूर रखिएगा, क्युकि जनाब इस कहानी को पढ़ते हुए बढ़ते ब्लड प्रेशर का इलाज़ चाय ही है |

Engineer se Insaan Tak / इंजिनियर से इंसान तक