Eidgah (ईदगाह)

ebook

By Munshi Premchand

cover image of Eidgah (ईदगाह)

Sign up to save your library

With an OverDrive account, you can save your favorite libraries for at-a-glance information about availability. Find out more about OverDrive accounts.

   Not today
Libby_app_icon.svg

Find this title in Libby, the library reading app by OverDrive.

app-store-button-en.svg play-store-badge-en.svg
LibbyDevices.png

Search for a digital library with this title

Title found at these libraries:

Loading...

रमज़ान के पूरे तीस रोज़ों के बाद ईद आई है। कितना मनोहर, कितना सुहावना प्रभात है। वृक्षों पर कुछ अजीब हरियाली है, खेतों में कुछ अजीब रौनक है, आसमान पर कुछ अजीब लालिमा है। आज का सूर्य देखो, कितना प्यारा, कितना शीतल है, मानो संसार को ईद की बधाई दे रहा है। गाँव में कितनी हलचल है। ईदगाह जाने की तैयारियाँ हो रही हैं। किसी के कुरते में बटन नहीं हैं, पड़ोस के घर से सुई-तागा लेने दौड़ा जा रहा है। किसी के जूते कड़े हो गए हैं, उनमें तेल डालने के लिए तेली के घर भागा जाता है। जल्दी-जल्दी बैलों को सानी-पानी दे दें। ईदगाह से लौटते-लौटते दोपहर हो जाएगी। तीन कोस का पैदल रास्ता, फिर सैकड़ों आदमियों से मिलना-भेंटना। दोपहर के पहले लौटना असंभव है। लड़के सबसे ज्यादा प्रसन्न हैं। किसी ने एक रोज़ा रखा है, वह भी दोपहर तक, किसी ने वह भी नहीं; लेकिन ईदगाह जाने की खुशी उनके हिस्से की चीज है। रोज़े बड़े-बूढ़ों के लिए होंगे। इनके लिए तो ईद है। रोज ईद का नाम रटते थे। आज वह आ गई। अब जल्दी पड़ी है कि लोग ईदगाह क्यों नहीं चलते। इन्हें गृहस्थी की चिंताओं से क्या प्रयोजन! सेवैयों के लिए दूध और शक्कर घर में है या नहीं, इनकी बला से, ये तो सेवैयाँ खाएँगे। वह क्या जानें कि अब्बाजान क्यों बदहवास चौधरी कायमअली के घर दौड़े जा रहे हैं! उन्हें क्या खबर कि चौधरी आज आँखें बदल लें, तो यह सारी ईद मुहर्रम हो जाए। उनकी अपनी जेबों में तो कुबेर का धन भरा हुआ है। बार-बार जेब से अपना खजाना निकालकर गिनते हैं और खुश होकर फिर रख लेते हैं।

प्रेमचंद की मशहूर कहानियाँ (Search the book by ISBN)

01. ईदगाह (ISBN: 9788180320606)

02. पूस की रात (ISBN: 9788180320613)

03. पंच-परमेश्वर (ISBN: 9788180320620)

04. बड़े घर की बेटी (ISBN: 9788180320637)

05. नमक का दारोगा (ISBN: 9788180320651)

06. कजाकी (ISBN: 9788180320644)

07. गरीब की हाय (ISBN: 9788180320668)

08. शतरंज के खिलाड़ी (ISBN: 9788180320675)

09. सुजान भगत (ISBN: 9788180320729)

10. रामलीला (ISBN: 9788180320682)

11. धोखा (ISBN: 9788180320699)

12. जुगनू की चमक (ISBN: 9788180320736)

13. बेटों वाली विधवा (ISBN: 9788180320743)

14. दो बैलों की कथा (ISBN: 9788180320750)

15. बड़े भाई साहब (ISBN: 9788180320705)

16. घरजमाई (ISBN: 9788180320767)

17. दारोगाजी (ISBN: 9788180320774)

18. कफ़न (ISBN: 9788180320781)

19. बूढ़ी काकी (ISBN: 9788180320798)

20. दो भाई (ISBN: 9788180320712)

Eidgah (ईदगाह)