Maa Tu Bahut Yaad Aati Hai… ("माँ" तू बहुत याद आती है …)

ebook A Collection of Poems (काव्य संग्रह)

By Akshay Agrawal/ अक्षय अग्रवाल

cover image of Maa Tu Bahut Yaad Aati Hai… ("माँ" तू बहुत याद आती है …)

Sign up to save your library

With an OverDrive account, you can save your favorite libraries for at-a-glance information about availability. Find out more about OverDrive accounts.

   Not today
Libby_app_icon.svg

Find this title in Libby, the library reading app by OverDrive.

app-store-button-en.svg play-store-badge-en.svg
LibbyDevices.png

Search for a digital library with this title

Title found at these libraries:

Loading...

"माँ तू बहुत याद आती है...", एक माँ का बच्चों से सदैव अटूट बंधन होता है, वस्तुत नारी प्रत्येक रूप में पूज्यनीय  होती है चाहे वह माँ हो,बहन हो,बेटी हो,या पत्नी हो| वर्तमान परिस्थितियों में कवि भारत माँ के लिए लिखता है,.. "हाल क्या बेहाल था, रक्तरंजीत भाल था, चीर फटे हाल था ,पर नूर बेमिसाल था" भारत माँ की व्यथा को स्पष्ट कर देता है| इसी प्रकार.. "हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई रक्त कहाँ होता है, जो बहता है धरती पर वो रक्त,रक्त होता है," ये पंक्तियाँ प्रेरणा देती हैं की जात-पाँत, ऊँच-नीच का भेदभाव मिटाकर समग्ररूप से प्रयत्नशील बने देश व समाज की उन्नति के लिए | मनुष्य में मानवता का होना आवश्यक है मानव कहलवाने के लिए, अन्यथा उसका जीवन व्यर्थ है, कितना स्पष्ट संदेश है इन पंक्तियों में.. हे मानवता, मानव को मानव तू बना दे |

Maa Tu Bahut Yaad Aati Hai… ("माँ" तू बहुत याद आती है …)